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इं. के. के. अग्रवाल

लेखक , निदेशक

मैं एक पेशेवर पुस्तक लेखक हूं। मैंने १०० से अधिक नाटकों का लेखन एवं निर्देशन किया है।

आमंत्रण : वार्षिकोत्सव ( IIT Roorkee Alumni Association, Lucknow Chapter ) 25 फरवरी 2024.
अभिव्यक्ति के बारे में

कुछ मुख्य जानकारी

प्रिय मित्रों, बंधु- बांधवों, सहयोगियो, साथियों एवं रंगकर्मियों - - लीजिये आपके समक्ष प्रस्तुत है अपने पचास वर्षों की साहित्य एवं रंग यात्रा की - अभिव्यक्ति।

पचास वर्षों में निरंतर कुछ लिखा, कुछ पढ़ा, चर्चायें की, प्रकाशित हुआ, मंचित हुआ। नाटक एवं कहानियां, कहानियों के नाट्य रुपांतर एवं मंच हेतु निर्देशन।

इस सबका आधार सदैव एक ही रहा- रंगमंच।

दोस्तों से मिलना, चाय समोसे पर चर्चा करना, अपनी बात कहने के लिए नाटक लिखना, लिखे हुए नाटक को मंचित करने के लिए संसाधनों की तलाश में भटकना।

दिन रात के इस निरंतर अभ्यास ने मेरे चारो ओर एक ऐसे संसार की रचना करदी कि पचास साल कब बीत गये, पता ही नहीं चला। इस सब को समेट कर आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए मैंने इस वेबसाइट की स्थापना की है जिसे नाम दिया है - अभिव्यक्ति। ( www.abhivyakti.info )

इसके माध्यम से मैं आपको अपनी रचनाओं एवं गतिविधियों से परिचित कराते हुये आपकी प्रतिक्रियाओं की अपेक्षा करता रहूंगा। आशा है आपको पंसद आयेगी मेरी यह - अभिव्यक्ति।

इं. के. के. अग्रवाल

लेखक , निदेशक

उपलब्धियों

पुरस्कार प्राप्त

पृथ्वी रंगमंच कानपुर

डॉक्टर उर्मिला कुमार थपलियाल स्मिरीति सम्मान २०२१

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पुस्तकें

मेरी कुछ सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकें

Book 3

कहानी

खिड़कियों के परे

₹ 200
Book 7

कहानी

जीवन यात्रा

₹300
Book 5

कहानी

खुटियो पर टंगी कहानियाँ

₹300
Book 6

नाटक संग्रह

पर्यावरण एक प्रश्न चिन्ह

₹ 150
Book 5

नाट्य रूपांतरण

संवाद

₹300
प्रशंसापत्र

लोगों ने मेरी किताबों के बारे में क्या कहा

" नामचीन नाटककार के०के० अग्रवाल का ये पहला ( खुटियो पर टंगी कहानियाँ ) लेकिन महत्वपूर्ण कहानी संग्रह है। रंग जीवन से गुजरते हुए चीजों को देखने का इनका अलग नजरिया बना है, जो कहानियों में नजर आता है। ये बड़ी सादगी से कहानी कह लेते हैं। इनकी ज्यादातर कहानियों में नाटकीयता नहीं है पर भाषायी नाटकीयता मौजूद है। पाठक इनकी कहानियों के मर्म को समझेंगे ऐसी आशा है। "

" भारत की रंग यात्रा में के०के० अग्रवाल एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने पिछले 40 सालों में न केवल मंच पर धूम मचाई है बल्कि अपने नाटकों और कहानियाँ के लेखन से भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। इनके रंग मंच के अनुभव को हम बखूबी इनकी कहानियों में देखते है। इनकी कहानियों में दृश्य कल्पना कमाल की है। समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़ी इन कहानियों को पढ़ते-पढ़ते आभास होता है कि घटना अपने आप घट रही है। इनका मंचन भी अति सरलता से किया जा सकता है। मैं पाठकों से अनुरोध करता हूँ कि वो एक बार इन कहानियों को ज़रूर पढ़े। "

" के०के० जन्मजात, मंचीय कलाकार हैं। हास्य, व्यंग्य एवं गहरे चुटकुले इनके व्यक्तित्व का अंग हैं। मेरा पाठकों से अनुरोध है कि वो प्रस्तुत संग्रह की कहानियों को पढ़कर प्रतिक्रिया स्वरूप लेखक को मजबूर करें कि वो अपने अद्वितीय न्ति' अप्रकाशित व्यंग्य एवं नाटक जो आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं रंगमंच पर सफलतापूर्वक प्रस्तुत किये जा चुके है, को भी प्रकाश में लाये। "

" के०के० भाई की नवीनतम कृति 'खूंटियों पर टॅगी कहानियों" को पढ़ने का अवसर मिला। इनका कुछ ख़ास स्टाइल हैं। बिना किसी प्रस्तावना के कहानी शुरू हो जाती है और इससे पाठक तुरंत जुड़ जाता है, और फिर कभी आकाश की ऊँबाइयों में, तो कभी पाताल की गहराइयों में गोता लगाते हुए अचानक जमीन पर धड़ाम हो जाता है और कहानी सात्म। पर कहानी के मायाजाल में पाठक देर तक उलझा रहता है। सभी रचनायें जैसे सपेरा, कैंसर का इलाज, चन्दू की कहानी, बिंदू की चिट्ठी आदि खूब हँसाने के साथ-साथ समाज में व्याप्त रूढ़ियों, दिखावे. भ्रष्टाचार पर करारी बोट करती हैं और सोचने पर मजबूर कर देती है। "

" के०के० अग्रवाल की कहानियों का संग्रह "खूंटियों पर टंगी कहानियाँ" पढ़कर लगा कि "साहित्य समाज का दर्पण है" कहावत इस पर चरितार्थ हो गयी। सभी कहानियों में सामाजिक मूल्यों पर सीधी सरल भाषा में सार्थक बोट की गयी है जो दिल पर गहरा असर डालती है। मुझे व्यक्तिगत रूप से 'सपेरा', 'दलील' तथा 'बंदू की कहानी' बेहद पसंद आई। हम सबको हमारी समझ में आने वाली भाषा में आईना दिखाने के लिए इं० के०के० अग्रवाल को बधाई । "

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